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Pamban Bridge की वापसी 61 साल बाद फिर चला लहरों के ऊपर रेल का जादू

Pamban Bridge: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल को तमिलनाडु के रामेश्वरम में नए Pamban Bridge का उद्घाटन किया यह ब्रिज तकनीक और लिफ्ट स्पैनर के कारण काफी समय से चर्चा में रहा है यह ब्रिज पंबन द्वीप को मुख्य भूमि से जोड़ता है पुराना ब्रिज 1964 के तूफान में तबाह हो गया था

अब तूफानों से नहीं डरेगा ब्रिज

रेल विकास निगम लिमिटेड के अधिकारियों ने बताया कि नया ब्रिज 230 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को भी झेल सकता है जबकि पुराना ब्रिज 160 किलोमीटर प्रति घंटे की हवाओं में तबाह हो गया था इस बार इसे भूकंप झेलने के लिए भी तैयार किया गया है

खास डिजाइन और सुरक्षा इंतजाम

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक ब्रिज में ऐसा स्पैन बनाया गया है जो जरूरत पड़ने पर जहाजों के लिए खुल सकता है यह डिजाइन करना बहुत मुश्किल था क्योंकि 61 साल पहले इसी जगह पर ब्रिज तबाह हुआ था इस बार मजबूती का खास ख्याल रखा गया है

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लिफ्ट स्पैनर केवल जहाज के समय खुलेगा

रेलवे अधिकारी ने बताया कि ब्रिज का लिफ्ट स्पैन हमेशा नीचे की स्थिति में रहेगा और केवल तब ही खुलेगा जब कोई जहाज निकलेगा नए ब्रिज के गर्डर समुद्र तल से 4.8 मीटर ऊपर हैं जिससे ज्वार के समय भी पानी ऊपर नहीं पहुंचेगा पुराने ब्रिज में ऐसा नहीं था

1964 की भीषण तबाही

22 दिसंबर 1964 को आए भीषण चक्रवात में Pamban Bridge और आसपास का इलाका तबाह हो गया था उस रात एक पैसेंजर ट्रेन में करीब 110 यात्री थे जो समुद्र की लहरों में समा गए थे अनुमान है कि इस हादसे में लगभग 200 लोगों की जान गई थी

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